शुक्रवार, 4 जनवरी 2019

महिलाओं का मन्दिर प्रवेश


महिलाओं के 

प्रवेश के बाद 

मन्दिर का 

शुद्धिकरण !

समानता के 

अधिकार से 

ऊपर झूलता है 

आस्था का 

अँधानुकरण !!

भावनात्मक 

तनाव-दोहन

कामयाबी का 

सपाट शार्ट-कट! 

है आसान 

अज्ञानियों पर 

रौब-शासन

भव्यता की आड़ में  

ख़ज़ाना सफ़ा-चट!! 

आस्था की जलावन 

भावना के अलाव में 

सरकायी हर बार! 

रूढ़ियों / वर्जनाओं के 

तोड़कर बैरियर 

बदलती सोच 

अभिमान से 

पहुँची उस पार!!

© रवीन्द्र सिंह यादव  

3 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. बहुत-बहुत आभार रवीन्द्र जी चर्चा में शामिल होने के लिये।

      हटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (06-11-2019) को     ""हुआ बेसुरा आज तराना"  (चर्चा अंक- 3511)     पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी का स्वागत है.

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