संतोषी भात-भात कहते-कहते भूख से मर गयी,
हमारी शर्म-ओ-हया भी तो अब बेमौत मर गयी।
डिप्टी कमिश्नर ने जांच के बाद कहा -
वह तो मलेरिया से मर गयी,
हम पूछते हैं -
सरकार की ग़ैरत कैसे मर गयी?
मलेरिया के मरीज़ को भी भूख लगती है
मलेरिया से मरना मच्छर के माथे कलंक ?
कैसा मशीनी / डिजिटल समाज बना रहे हैं हम ?
भूख से मरना ही नहीं है सरकार के माथे कलंक!
भुखमरी में भारत को नया स्थान मिला है ,
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में
119 देशों में 100 वां स्थान मिला है,
गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष
3 अंकों का नकारात्मक बोनस मिला है।
क्या हमें संतोष होना चाहिए ?
कि हमसे भी बुरा स्थान 19 और देशों को मिला है!
सरकार की ज़िद है -
अब आधार को राशन कार्ड से लिंक कराना ज़रूरी है,
सुप्रीम कोर्ट में आधार पर सुनवाई अभी अधूरी है।
ग़रीब जनता असमंजस में है कि
सरकार की सुने या सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का इंतज़ार करे ?
खाद्य सुरक्षा क़ानून है फिर भी भूख से तड़प-तड़पकर मरे ?
ग़रीब के मरने पर ही जागती है सरकार,
अमीर के तो इशारों पर भागती है सरकार।
#रवीन्द्र सिंह यादव
डिप्टी कमिश्नर = ज़िला सिमडेगा (झारखंड)
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