आइये कुछ आँकड़ों पर विचार करें,
आपस में आज बातें दो-चार करें।
विश्व बैंक की रिपोर्ट आई है,
सरकार के लिए ख़ुशियाँ लाई है,
"ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस" में भारत को,
100 वां स्थान मिल गया है,
हमारा तो दिमाग़ हिल गया है।
ज़ीरो की ओर बढ़ने वाला देश,
श्रेष्ठता की ओर बढ़ता है,
व्यापार में कठिनाइयों का दौर घटता है,
2016 में 130 वां स्थान था,
2015 में 131 वां स्थान था।
अब देखते हैं दूसरा दृश्य,
समझिए इसका भी रहस्य-
इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च ने,
"ग्लोबल हंगर इंडेक्स" ज़ारी किया है,
हमारे मन पर बोझ भारी किया है,
भारत को 100 वां स्थान मिला है,
भुखमरी की न किसी से कोई गिला है,
ज़ीरो की ओर बढ़ने वाला देश,
भुखमरी पर जीत की ओर बढ़ता है,
जीवन में दुश्वारियों का दौर घटता है,
2016 में 97 वां स्थान था,
हालात सुधरने का गुमान था।
व्यापार में सुगम सुविधा-सुधार के लिए,
30 अंकों की बेशर्म सकारात्मक वृद्धि!
भूख और कुपोषण से लड़ने की हमारी संवेदना में
3 अंकों की नकारात्मक वृद्धि!!
एक और सर्वे आया है-
50 प्रतिशत लोगों ने रिश्वत देकर सरकारी कार्य करवाया है।
कैसा राष्ट्रीय चरित्र विकसित हो रहा है...?
हमारा मानस कहाँ सो रहा है ...?
ज़रा सोचिए...!
ठंडे दिमाग़ से,
क्या मिलेगा?
भावी पीढ़ियों को,
कोरे सब्ज़बाग़ से...!
#रवीन्द्र सिंह यादव
आपस में आज बातें दो-चार करें।
विश्व बैंक की रिपोर्ट आई है,
सरकार के लिए ख़ुशियाँ लाई है,
"ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस" में भारत को,
100 वां स्थान मिल गया है,
हमारा तो दिमाग़ हिल गया है।
ज़ीरो की ओर बढ़ने वाला देश,
श्रेष्ठता की ओर बढ़ता है,
व्यापार में कठिनाइयों का दौर घटता है,
2016 में 130 वां स्थान था,
2015 में 131 वां स्थान था।
अब देखते हैं दूसरा दृश्य,
समझिए इसका भी रहस्य-
इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च ने,
"ग्लोबल हंगर इंडेक्स" ज़ारी किया है,
हमारे मन पर बोझ भारी किया है,
भारत को 100 वां स्थान मिला है,
भुखमरी की न किसी से कोई गिला है,
ज़ीरो की ओर बढ़ने वाला देश,
भुखमरी पर जीत की ओर बढ़ता है,
जीवन में दुश्वारियों का दौर घटता है,
2016 में 97 वां स्थान था,
हालात सुधरने का गुमान था।
व्यापार में सुगम सुविधा-सुधार के लिए,
30 अंकों की बेशर्म सकारात्मक वृद्धि!
भूख और कुपोषण से लड़ने की हमारी संवेदना में
3 अंकों की नकारात्मक वृद्धि!!
एक और सर्वे आया है-
50 प्रतिशत लोगों ने रिश्वत देकर सरकारी कार्य करवाया है।
कैसा राष्ट्रीय चरित्र विकसित हो रहा है...?
हमारा मानस कहाँ सो रहा है ...?
ज़रा सोचिए...!
ठंडे दिमाग़ से,
क्या मिलेगा?
भावी पीढ़ियों को,
कोरे सब्ज़बाग़ से...!
#रवीन्द्र सिंह यादव
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (14-10-2020) को "रास्ता अपना सरल कैसे करूँ" (चर्चा अंक 3854) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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वाह !बहुत सुंदर सर।
जवाब देंहटाएंआंकड़े और साहित्य लाजवाब।
सुन्दर
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