वो शाम अब तक याद है
दर-ओ-दीवार पर
गुनगुनी सिंदूरी धूप खिल रही थी
नीम के उस पेड़ पर
सुनहरी हरी पत्तियों पर
एक चिड़िया इत्मीनान से
अपने प्यारे चिरौटा से मिल रही थी
ख़्यालों में अब अजब
हलचल-सी हो रही थी
धड़कन एक नाम लेने को
बेताब हो रही थी
उस रोज़ था मंज़र बड़ा सुहाना
था तमन्नाओं का पस-मंज़र वही पुराना
दिल में कसक-सी हो रही थी
पीछे से आकर आपने
अपनी नाज़ुक हथेलियों से
मेरी आँखें जो बंद की थीं
फुसफुसाकर कान में जो कहा था
वो लफ़्ज़ अब तक याद है
वो शाम अब तक याद है
शाम अब तक याद है
याद है .....
याद है ......
© रवीन्द्र सिंह यादव
VO SHAAM AB TAK YAAD HAI
DAR-O-DEEVAR
PAR
GUNGUNEE
SINDOOREE DHOOP KHIL RAHEE THEE
NEEM
KE US PED PAR
SUNAHAREE
HAREE PATTIYON PAR
EK
CHIDIYAA ITMEENAAN SE
APNE
PYAARE CHIRAUTAA SE MIL RAHEE THEE
KHAYAALON
MEN AB AJAB
HALCHAL-SEE
HO RAHEE THEE
DHDKAN
EK NAAM LENE KO
BETAAB
HO RAHEE THEE
US
ROZ THAA MANZAR BADA SUHANAA
THA
TAMANNAON KA PAS-MANZAR VAHEE PURANAA
DIL
MEN KASAK-SEE HO RAHEE THEE
PEECHHE
SE AAKAR AAPNE
APNEE
NAAZUK HATHELIYON SE
MERI
AANKHEN JO BAND KI THEEN
PHUSPHUSAAKAR
KAAN MEN JO KAHAA THAA
VO
LAFZ AB TAK YAAD HAI
VO
SHAAM AB TAK YAAD HAI
SHAAM
AB TAK YAAD HAI
YAAD
HAI
YAAD
HAI......
सूचना -इस रचना को सस्वर सुनने के लिए
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शब्दार्थ / WORD MEANINGS
गुनगुनी सिंदूरी धूप = सिंदूर (लालामी ) रंग की सर्दियों में प्रिय लगने वाली हल्की धूप /
VERY LIGHT WARM SUNLIGHT WHICH GIVES FEEL
GOOD.
दर-ओ-दीवार = दरवाज़े और दीवारें / DOORS AND WALLS,
EACH AND EVERY PART OF DWELLING.
सुनहरी = सोने जैसे रंग की / का / GOLDEN COLOUR
इत्मीनान = पूर्ण संतुष्टि के साथ / SATISFACTION
चिरौटा = पुरुष (नर) चिड़िया, चिड़ा, चिड़वा / MALE SPARROW
मंज़र = दृश्य / SCENE
पस-मंज़र = पृष्ठभूमि / BACKGROUND
वाह!!क्या बात है !!रविन्द्र जी ,बहुत खूबसूरत ! बहुत ही भावपूर्ण ,जैसा कि आपके हाव-भाव से लग रहा था ..।
जवाब देंहटाएंवाह! आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंजितनी प्यारी आपकी पंक्तियाँ हैं उतनी ही सुंदर प्रस्तुति भी।
अप्रतिम,अनुपम,सुंदर 👌
सादर प्रणाम सर।
सुप्रभात 🙏
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (17-12-2019) को "मन ही तो है" (चर्चा अंक-3552) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जाड़े की गुनगुनी धूप सी गुनगुनी और रेशमी ख़यालात वाली रुमानियत की चाशनी से सराबोर रचना ... लगता है .. किसी अपने की रुमानियत की यादों की बयार छू कर गुजरी हो आपको ...
जवाब देंहटाएंप्रकृति और अंतस से निकले बहुत ही सुन्दर शब्द चित्र
जवाब देंहटाएंसादर
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में बुधवार 13 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना बहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 21 सितम्बर 2020 को साझा की गयी है............ पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंउस रोज़ था मंज़र बड़ा सुहाना
जवाब देंहटाएंथा तमन्नाओं का पस-मंज़र वही पुराना
दिल में कसक-सी हो रही थी
पीछे से आकर आपने
अपनी नाज़ुक हथेलियों से
मेरी आँखें जो बंद की थीं
फुसफुसाकर कान में जो कहा था
वो लफ़्ज़ अब तक याद है
वो शाम अब तक याद है
शाम अब तक याद है ...वाह!ज़िंदगी के हर लम्हें को कविता में गूँथना...बेहतरीन।
सादर
गहन प्रेमिल अनुभूतियों को शब्दांकित करती अत्यंत सुंदर, भावपूर्ण रचना 👌👌👌👌 भावभीनी,मधुर याद को समेटे कोई सुहानी शाम
जवाब देंहटाएंशब्दों में जीवंत हो गयी है। 🙏🙏💐💐
उस रोज़ था मंज़र बड़ा सुहाना
जवाब देंहटाएंथा तमन्नाओं का पस-मंज़र वही पुराना
दिल में कसक-सी हो रही थी
पीछे से आकर आपने
अपनी नाज़ुक हथेलियों से
मेरी आँखें जो बंद की थीं
फुसफुसाकर कान में जो कहा था
वो लफ़्ज़ अब तक याद है
वो शाम अब तक याद है
शाम अब तक याद है ...
खूबसूरत यादों के साथ बहुत ही खूबसूरत सृजन
वाह!!!
वो शाम अब तक याद है ...वाह !अनुज ...बेहतरीन !
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