लोकतंत्र का एक खम्भा
कहलाती न्याय-व्यवस्था,
न्याय-तंत्र ही माँगे न्याय
आयी कैसी जटिल अवस्था।
इंसाफ़ के लिए
वर्षों से
लाचार
जनता तड़पती देखो,
वर्चस्व के लिए
अब आपस में
न्याय-व्यवस्था
झगड़ती देखो।
सत्ता और
न्याय-व्यवस्था में
दोस्ती और
साँठगाँठ का अनुमान,
गुज़रेगा यह
दुश्वारियों का दौर भी
फ़ैसले करेंगे दूर
फ़ुतूर और गुमान।
#रवीन्द्र सिंह यादव
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