वर्षों से दीवार पर टंगी
तस्वीर से
धूल साफ़ की
आँखों में
करुणा की कसक
हया की नज़ाकत
मुस्कान के पीछे
छिपा दर्द
ये आज भी फीके कहाँ
चीज़ों की उम्र होती है
प्रेम की कहाँ
लेकिन आँखों ने
इशारों में कहा है
अब प्रेम का दायरा
सिकुड़ता जा रहा है।
#रवीन्द्र सिंह यादव
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