मातम का माहौल है
कन्धों पर सरहद के
जाँबाज़ प्रहरी आ गये
देश में शब्दाडम्बर के
उन्मादी बादल छा गये
रणबाँकुरों का रक्त
सड़कों पर बहा
भारत ने आतंक का
ख़ूनी ज़ख़्म सहा
बदला! बदला!!
आज पुकारे देश हमारा
गूँज रहा है
गली-चौराहे पर
बस यही नारा
बदला हम लेंगे
फिर वे लेंगे....
बदला हम लेंगे
फिर वे लेंगे....
हम....
फिर वे......
केंडिल मार्च में
भारी आक्रोशित मन होगा
मातम इधर होगा
मातम उधर भी होगा
हासिल क्या होगा
यह अंतहीन सिलसिला
ख़त्म हो
समाधान हो
विवेक जाग्रत हो
सेना सक्षम हो
निर्णय क्षमता विकसित हो
स्टूडियो में एंकर लड़ते युद्ध
रैलियों में नेता भीड़ करते क्रुद्ध
लाल बहादुर शास्त्री से सीखो
निर्णय लेना
जय जवान
जय किसान
तब इतराकर कहना
भय से मिलता वोट
जिन्हें वे अब जानें
मत समझो सस्ती हैं
धरती के लालों की जानें !
दुश्मन को सक्षम सेना सबक़ सिखायेगी,
बकरे की अम्मा कब तक ख़ैर मनायेगी।
© रवीन्द्र सिंह यादव
बिल्कुल आदरणीय सर अब तो बस समाधान ही चाहिए कोई ऐसा समाधान जिससे ये सब थम जाए जो सालो से चला आ रहा है उसका कहीं तो हो
जवाब देंहटाएंअब तो माँ भारती भी पूछ रही है कि और कितनी शहादत
विकल्प बहुत से हैं बस चिंता इतनी है कि कहीं सरकार सांत्वना देकर चुप ना बैठ जाए
शुक्रिया आँचल जी चर्चा को सारगर्भित के लिये.
हटाएंNice mamaji
हटाएंमातम का माहौल है
जवाब देंहटाएंकन्धों पर सरहद के
जाँबाज़ प्रहरी आ गये
देश में शब्दाडम्बर के
उन्मादी बादल छा गये!!!!
बहुत ही सार्थक पंक्तियाँ आदरणीय रविन्द्र जी | वीर शहीदों के शोकाकुल परिवारों की असीम वेदना के बीच शब्दों के उन्मादी बादल-- वाह !!! सचमुच अब आतंक के बकरे की माँ को इस कुटिल बकरे की बलि देखनी ही होगी | छद्म प्रपंची युद्ध के ये प्रणेता अब दुनिया से मिटने को तैयार रहें | वीरों कीजान अनमोल है - इतने सस्ते में जाने के लिए नही | सम सामयिक विषय की बहुत ही सार्थक और सशक्त रचना के लिए साधुवाद और आभार | |
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (14-02-2020) को "प्रेम दिवस की बधाई हो" (चर्चा अंक-3611) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
आँचल पाण्डेय
सामायिक और सार्थक चिंतन देती रचना।
जवाब देंहटाएं