रविवार, 26 अप्रैल 2020

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उत्पन्न करतीं खीझ 

बहुत कुछ 

दर्ज होने से छूट गया है 

ऐसा पुरखे बताते रहे  

समृद्ध इतिहास पर गर्व है 

यह तो पुरखों की की देन है 

हमारा किया-धरा 

भावी पीढ़ियाँ पढेंगीं

मजबूरन भुगतेंगीं  

सराहेंगीं या धिक्कारेंगीं 

वक़्त तय करेगा। 

© रवीन्द्र सिंह यादव 

1 टिप्पणी:

  1. हमारा किया-धरा
    भावी पीढ़ियाँ पढेंगीं
    मजबूरन भुगतेंगीं
    सराहेंगीं या धिक्कारेंगीं
    वक़्त तय करेगा।
    बहुत सटीक और गंभीर प्रश्न हृदय से पूछती प्रभावी रचना ।

    जवाब देंहटाएं

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