विदूषक / मसख़रे / जोकर की कल्पना
मनोरंजन के लिए
हँसकर व्यंग्य की सचाई
स्वीकारने
भटकी सोच को
मानवीय बनाने
हमने की
कला-साहित्य / लोक-संस्कृति में
कँटीली / पथरीली ज़मीन पर
हमें हँसने-हँसाने की
चपल चुनौती दी
किनारे पर
उथले पानी में
तैरने का कोई अभिनय करे
तब आप क्या करेंगे?
टीवी पर समाचार
एंकर / एंकरनियों को
दाँत पीसते हुए
देखा करेंगे!
© रवीन्द्र सिंह यादव
मनोरंजन के लिए
हँसकर व्यंग्य की सचाई
स्वीकारने
भटकी सोच को
मानवीय बनाने
हमने की
कला-साहित्य / लोक-संस्कृति में
कँटीली / पथरीली ज़मीन पर
हमें हँसने-हँसाने की
चपल चुनौती दी
किनारे पर
उथले पानी में
तैरने का कोई अभिनय करे
तब आप क्या करेंगे?
टीवी पर समाचार
एंकर / एंकरनियों को
दाँत पीसते हुए
देखा करेंगे!
© रवीन्द्र सिंह यादव
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