दादी दबी आकांक्षाएँ लिए
पेशानी पर तेवर लिए
बेकसी का दौर
चेहरे पर लिए
बूढ़ी आँखों में
प्रश्न-ख़ंजर लिए
पूछती पोती से
पैंतीसवें दिन
लॉक डाउन
कब ख़त्म होगा?
अपने गाँव जाना है
अपनों के बीच मरना है
बची सांसें ओसारे में पूरी करनी हैं
शहरी घुटन में क्या उम्र पूरी करनी है?
अजीब शहर है
न धूप खुली
न हवा खुली
न खुला मन
मोबाइल में व्यस्त
अबाल-वृद्धजन
दिखती ज़िंदा हूँ
मरी-सी हूँ!
समझी...!
©रवीन्द्र सिंह यादव
पेशानी पर तेवर लिए
बेकसी का दौर
चेहरे पर लिए
बूढ़ी आँखों में
प्रश्न-ख़ंजर लिए
पूछती पोती से
पैंतीसवें दिन
लॉक डाउन
कब ख़त्म होगा?
अपने गाँव जाना है
अपनों के बीच मरना है
बची सांसें ओसारे में पूरी करनी हैं
शहरी घुटन में क्या उम्र पूरी करनी है?
अजीब शहर है
न धूप खुली
न हवा खुली
न खुला मन
मोबाइल में व्यस्त
अबाल-वृद्धजन
दिखती ज़िंदा हूँ
मरी-सी हूँ!
समझी...!
©रवीन्द्र सिंह यादव
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-04-2020) को "रोटियों से बस्तियाँ आबाद हैं" (चर्चा अंक-3686) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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कोरोना को घर में लॉकडाउन होकर ही हराया जा सकता है इसलिए आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें। आशा की जाती है कि अगले सप्ताह से कोरोना मुक्त जिलों में लॉकडाउन खत्म हो सकता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर
जवाब देंहटाएंअपने गाँव जाना है, अपनों के बीच मरना है........
जवाब देंहटाएंपोती, उसके माँ-बाप अपने नहीं होते ?