सोती नदी में
एक लहर उठी
किनारे पर आकर
रेत पर एक नाम लिखकर थम गई
दूसरी लहर
किनारे से मिलने चली
रेत पर लिखा नाम
न कर सका और विश्राम
पहली लहर के कलात्मक श्रम को पानी में मिला दिया।
© रवीन्द्र सिंह यादव
साहित्य समाज का आईना है। भाव, विचार, दृष्टिकोण और अनुभूति का आतंरिक स्पर्श लोकदृष्टि के सर्जक हैं। यह सर्जना मानव मन को प्रभावित करती है और हमें संवेदना के शिखर की ओर ले जाती है। ज़माने की रफ़्तार के साथ ताल-सुर मिलाने का एक प्रयास आज (28-10-2016) अपनी यात्रा आरम्भ करता है...Copyright © रवीन्द्र सिंह यादव All Rights Reserved. Strict No Copy Policy. For Permission contact.
सोती नदी में
एक लहर उठी
किनारे पर आकर
रेत पर एक नाम लिखकर थम गई
दूसरी लहर
किनारे से मिलने चली
रेत पर लिखा नाम
न कर सका और विश्राम
पहली लहर के कलात्मक श्रम को पानी में मिला दिया।
© रवीन्द्र सिंह यादव
चित्र साभार: सुकांत कुमार SSJJ एक हरी डाल पर फूल और काँटा करते रहे बसर फूल खिला, इतराया अपने अनुपम सौंदर्य पर काँटा भी नुकीला हुआ, सख़्त...