गुरुवार, 4 अप्रैल 2019

नक़्शा


उस दिन बिटिया नाराज़ हुई थी 

तब चौथी कक्षा में पढ़ती थी 

भूगोल की परीक्षा में 

नक़्शा बनाने के भी नंबर  थे 

नक़्शे बनाते-बनाते 

उसे ग़ुस्सा आया 

मेरे पास आयी 

हाथ में थे कई काग़ज़ 

जिन पर बने थे कई नक़्शे 

लेकिन नहीं थे बनाने जैसे 

बालसुलभ तमतमाहट के साथ 

पूछा मुझसे-

ये नक़्शे टेढ़े-मेढ़े क्यों होते हैं ?

बड़े होकर समझना 

नक़्शों का बदलना     

नक़्शों का मिटना 

नक़्शों में समायी भावना

नक़्शों में निहित संभावना 

तिरोहित होती है भाईचारे की भावना    

क़ुदरत ने दिया था 

बस एक ही नक़्शा भूमि-जल से चहकता  

घुसेड़ दी है हमने नक़्शे में 

विस्तारवादी / संकीर्ण मानसिकता

राजनीति रणनीति और सुरक्षा 

नक़्शे की जड़ में छिपी है महत्त्वाकांक्षा

नक़्शों में सिमटी है आज दुनिया 

सुनते-सुनते गंभीर हुई मुनिया। 

© रवीन्द्र सिंह यादव 

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत प्यारी सी कविता लिखी है रवींद्र जी आपने..बचपन की मासूमियत से लेकर बौद्धिक क्षमता के विकास की यात्रा का सजीव चित्रण..अति सुंदर गहन भाव लिये सराहनीय सृजन👍👍👌👌

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ५ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह आदरणीया सर क्या अद्भुत रचना प्रस्तुत की है आपने
    जहाँ बाल मन की मासूमियत रचना का सौंदर्य है तो वही इसका गूढ़ संदेश इसकी आत्मा
    लाजवाब पंक्तिया 👌
    सादर नमन आपको और आपकी कलम को
    शुभ रात्रि

    जवाब देंहटाएं
  4. क़ुदरत ने दिया था
    बस एक ही नक़्शा चहकता
    घुसेड़ दी नक़्शे में हमने
    विस्तारवादी / संकीर्ण मानसिकता....
    बेहतरीन रचना आदरणीय
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. ये नक्शे टेढे मेढ़े क्यों होते हैं ?
    बालसुलभ मासूमियत में गंभीर बात पूछ गई मुनिया !!!

    जवाब देंहटाएं
  6. क़ुदरत ने दिया था
    बस एक ही नक़्शा चहकता
    घुसेड़ दी नक़्शे में हमने
    विस्तारवादी / संकीर्ण मानसिकता
    नक़्शों में सिमटी है आज दुनिया
    बहुत ही लाजवाब रचना ...
    बालसुलभ मुनिया के माध्यम से नक्शे के टेढ़ेपन पर प्रश्न....बहुत ही सुन्दर...
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह!!रविन्द्र जी ,लाजवाब!!कुदरत के दिए नक्शे की हम इंसानों ने निहित स्वार्थों के कारण क्या हालत बना दी है ,इसका अंदाजा शायद हमें अभी नहीं है ।

    जवाब देंहटाएं
  8. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(१५ -०३-२०२०) को शब्द-सृजन-१२ "भाईचारा"(चर्चा अंक -३६४१) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    **
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
  9. सुंदर सीख देती बेहतरीन रचना ,सादर नमन सर

    जवाब देंहटाएं

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