3. #MeeToo मी टू सैलाब ( वर्ण पिरामिड )
ये 
मी टू 
ले आया 
रज़ामंदी 
दोगलापन 
बीमार ज़ेहन 
मंज़र-ए-आम पे !
वो 
मर्द 
मासूम 
कैसे होगा 
छीनता  हक़ 
कुचलता रूह 
दफ़्नकर ज़मीर !
क्यों 
इश्क़ 
रोमांस 
बदनाम 
मी टू सैलाब 
लाया है लगाम 
ज़बरदस्ती को "न"
न 
मानो 
सामान 
औरत को 
रूह से रूह 
करो महसूस 
है ज़ाती दिलचस्पी। 
है 
चढ़ी  
सभ्यता 
दो सीढ़ियाँ 
दिल हैं ख़ाली 
तिजोरियाँ भरीं 
भौतिकता है हावी। 
हो 
तुम 
बौड़म 
मानते हो 
होठों पर न 
स्त्री के दिल में हाँ 
बे-बुनियाद    सोच। 
© रवीन्द्र सिंह यादव
2. स्त्रीलिंग-पुल्लिंग (वर्ण पिरामिड)
                     मानक हिन्दी और आम बोलचाल की हिन्दी में हम अक्सरलोगों को स्त्रीलिंग-पुल्लिंग सम्बन्धी त्रुटियाँ करते हुए पाते हैं।हिन्दी पट्टी के रचनाकारों के लेखन में भी प्रायः इस प्रकार कीग़लतियाँ पायी जाती हैं। 
दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर भारत के लोग भी हिन्दी बोलते समयस्त्रीलिंग-पुल्लिंग सम्बन्धी त्रुटियाँ करते हैं जो कभी-कभी हास्यपैदा करती हैं। 
दिल्ली के अस्पताल में एक नर्स ने सीधे अपने गृहप्रदेश केरल से आकर नौकरी ज्वाइन की तो उसे आम मरीज़ों कीबात समझने के लिये हिन्दी सीखने की सलाह दी गयी। नर्स नेहिन्दी बोलना सीखने में रूचि दिखायी तो सहकर्मी उसे हिन्दीसिखाने लगे। सर्दी का मौसम था। एक दिन नर्स अपनी हिन्दीभाषीसहेली से कहती है- "मेरी होंठ टूट गयी"(वह कहना चाहती थी- "मेरा होंठ फट गया")
सुनकर लोग हँसे लेकिन सबने उसकी हिन्दी भाषा सीखने की लगनकी तारीफ़ की। पूर्वोत्त्तर और दक्षिण भारत के लोगों को हम अक्सरलिंग (Gender ) सम्बन्धी विपरीत शब्दों का प्रयोग करते हुए पातेहैं। हम अक्सर बातों-बातों में उनकी ये त्रुटियाँ सुधरवाने काप्रयास भी करते हैं। दक्षिण भारतीय या पूर्वोत्तर भारत की नर्स केमुँह से हम अक्सर सुनते हैं-"डॉक्टर गीता आ गया "..... "डॉ. सुधीरआ गयी"  
          हम इन ग़लतियों को हल्के-फुल्के तौर पर लेते हैं और कभी-कभी हँस भी लेते हैं। पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत में वहाँ की स्थानीयभाषा के साथ अँग्रेज़ी में प्रमुखतः पढ़ाई होती है अतः हिन्दी भाषाका स्त्रीलिंग-पुल्लिंग व्याकरण अँग्रेज़ी भाषा से अलग होने केकारण ऐसी त्रुटियाँ आम हो गयी हैं। 
      यहाँ हिन्दी भाषा व्याकरण के स्त्रीलिंग-पुल्लिंग कोआंशिक रूप से वर्ण पिरामिड के माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुतकिया है -
अपवाद -
धातुऐं ( सोना ,ताम्बा ,लोहा ,काँसा ,पीतल आदि ) पुल्लिंग होती हैंलेकिन चाँदी स्त्रीलिंग 
फल ( आम ,संतरा ,केला ,पपीता ,नींबू आदि ) पुल्लिंग हैलेकिन नारंगी स्त्रीलिंग
शरीर के कुछ अंग अवयव ( हाथ, पैर, माथा, सर, गाल, पेट, बाल,होंठ, नाख़ून, अँगूठा, घुटना, तलवा, रोम, गला आदि) पुल्लिंग हैं
तो कुछ अंग अवयव ( जीभ, नाक, अँगुली, आँख, पलक, एड़ी,त्वचा, हड्डी, गर्दन, आँत, रग(नस) आदि ) स्त्रीलिंग हैं।
रत्न (हीरा,पन्ना ,पुखराज, मूँगा, मोती, नीलम आदि ) पुल्लिंग हैं 
तो मणि  स्त्रीलिंग  
ग्रह - ( मंगल ,बुध ,बृहस्पति,शुक्र ,शनि आदि ) पुल्लिंग हैं 
तो पृथ्वी  स्त्रीलिंग है।  
है
दिन 
पुल्लिंग 
रजनी स्त्री 
पावक जल 
होते विपरीत 
यों ही धरा आकाश।
है
चाँदी 
स्त्रीलिंग 
सोना उल्टा   
बड़ी दुविधा 
दुनिया संसार 
पुल्लिंग हुए देश। 
ये
बाग़ 
सागर 
फल फूल 
कारोबार में 
आलय प्रत्यय 
पुल्लिंग अधिकारी। 
ज्यों
भाषा 
नदियाँ 
लिपि लता 
तिथियाँ सभी 
चिड़िया गुड़िया 
है स्त्रीलिंग दुनिया। 
हैं
पेड़ 
पर्वत 
ग्रह धातु 
महीना दिन 
अंग अपवाद 
पुल्लिंग हुए रत्न।  
ता
अनी 
आवट 
इया इमा 
प्रत्यय जुड़े 
स्त्रीलिंग के साथ 
इ   और   ईकारांत। 
© रवीन्द्र सिंह यादव
1.रेल-हादसा (वर्ण पिरामिड)
था
क्रूर
हादसा
दशहरा
अमृतसर
रेल-रावण को
दोष मढ़ते हम।
ये
नेता
मौत में
तलाशते
अपनी जीत
सम्वेदना लुप्त
दोषारोपण ज़ारी।
वे
लेते
वेतन
सरकारी
हैं अधिकारी
ओढ़ते लाचारी
क्यों जनता बेचारी?
थी
एक
जिज्ञासा
रावण को
देखें जलता
विडियो बनाते
क्षत-विक्षत हुए।
है
छाया
मातम
शहर में
चीख़-पुकार
मौन है मंज़र
हुए यतीम बच्चे।
© रवीन्द्र सिंह यादव
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