ज़रा-ज़रा सी बात पर
रूठना, मचलना भा गया ,
देखने चकोर चाँद को
नदी के तीर आ गया। ........ (1)
गुफ़्तुगू न सुन सके
कोई मिलन न देख ले,
दो दिलों के आसपास
बन के शामियाना कोहरा छा गया।
देखने चकोर चाँद को
नदी के तीर आ गया। ........ (2)
ये घड़ी रुकी रहे
रात जाए अब ठहर,
दीवानगी का ये ख़याल
बेताबियों को भा गया।
देखने चकोर चाँद को
नदी के तीर आ गया। ......... (3)
ज़िन्दगी की राहों में
फूल हैं तो ख़ार भी ,
पयाम एक फ़ज़ाओं का
मरहम ज़ख़्म पर लगा गया।
देखने चकोर चाँद को
नदी के तीर आ गया। ........ (4)
तमन्नाऐं बन के रौशनी
जगमगाती हैं डगर -डगर ,
बेख़ुदी के दौर में
भूली राह कोई दिखा गया।
देखने चकोर चाँद को
नदी के तीर आ गया। ........ (5)
@रवीन्द्र सिंह यादव
इस रचना को सस्वर सुनने के लिए लिंक -
https://youtu.be/s0aRSv3IenI
https://youtu.be/s0aRSv3IenI
शब्दार्थ / WORD MEANINGS -
ज़रा = थोड़ी ,थोड़ा ,A Bit
चकोर = तीतर की भांति दिखने वाला पक्षी जो साहित्य में चन्द्रमा के प्रेमी के रूप में वर्णित है ,Alectoris chukar
तीर = किनारा ,बाण , River Bank
गुफ़्तुगू =बातचीत ,Speech ,Conversation
शामियाना = मंडप ,वितान ,छत्र , Canopy ,Awning
कोहरा = कुहासा ,Fog,Mist
घड़ी = पल , moment
दीवानगी = पागलपन , होश-ओ हवास खोना -Madness ,Insanity
ख़याल = विचार ,Thought ,Idea
बेताबियाँ = बेसब्री,बेचैनी ,Restlessness
ख़ार = काँटा , A Thorn
पयाम = संदेश , Message
फ़ज़ाओं = वातावरण ,Weather, Atmosphere
तमन्नाऐं = इच्छाएँ ,Desires
डगर = रास्ता ,Path ,Road
बे-ख़ुदी = स्वयं को भूल जाना ,Intoxication
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (३०-११ -२०१९ ) को "ये घड़ी रुकी रहे" (चर्चा अंक ३५३५) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंबढ़िया है।
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी की राहों में
जवाब देंहटाएंफूल हैं तो ख़ार भी ,
पयाम एक फ़ज़ाओं का
मरहम ज़ख़्म पर लगा गया।
देखने चकोर चाँद को
नदी के तीर आ गया। ........ (4)
बहुत ही सुन्दर मनभावन लाजवाब सृजन...
लयबद्ध....
वाह!!!!
https://youtu.be/s0aRSv3lenl
जवाब देंहटाएंये लिंक खुल नही रहा है रविन्द्र जी !
आपकी आवाज में इस सुन्दर सृजन को सुन नहीं पायी
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंसादर आभार आदरणीय सुधा जी। आपकी मनोबल बढ़ाती टिप्पणी और सूचना का तह-ए-दिल स्वागत। अब वीडियो का लिंक दुरुस्त कर दिया है। सही लिंक नीचे दिया है -
हटाएंhttps://youtu.be/s0aRSv3IenI ज़रा-ज़रा सी बात पर