बुधवार, 14 अगस्त 2019

सुनो प्रिये !


सुनो प्रिये !

मैं बहुत नाराज़ हूँ आपसे

आपने आज फिर भेज दिये

चार लाल गुलाब के सुंदर फूल

प्यारे कोमल सुप्रभात संदेश के साथ

माना कि ये वर्चुअल हैं / नक़ली हैं 

लेकिन इनमें समाया

प्यार का एहसास / महक तो असली है

नादाँ हूँ / प्रकृतिप्रेमी हूँ  / कवि हूँ

कदाचित मुझे ये फूल असली लगते हैं 

आपकी साइंटिफ़िक समझ का क़ाएल हूँ 

ये चार फूल हृदय के चारों चेम्बर्स के लिये- 

Two atria and two ventricles.

 1. Right Atrium 

   2. Right Ventricle 

3. Left Ventricle 

4. Left Atrium 




नज़र सोख लेती है प्यारे गुलाब में 

लिपटे पुरकशिश पुरनूर जज़्बात  

सच कहूँ एक फूल ही काफ़ी है

ख़ून में घुलकर ऑक्सीजन के साथ 

तन के पोर-पोर में प्यार महकाने के लिये 

अब मेरी छेड़ की बात सुनो!

रोज़ रखती रहना

सुप्रभात संदेश आबा-जाही में  

सिर्फ़ एक लाल गुलाब का फूल 

नहीं तो मौक़ा पाकर  

कोई रख न दे दिल में 

नये तरह का आकर्षक फूल 

और जब वो नागफनी बनकर 

फैलेगा नुकीले काँटों के साथ 

तो दिल के सभी चेम्बर्स में चुभेगा

मख़मली नाज़ुक एहसासात को 


बेरहमी से लहूलुहान करेगा  

तब बहुत याद आयेगी आपकी 

मत भूलना सिर्फ़ एक फूल रोज़!

सिर्फ़ एक Red Rose!! 

काश! ये तीन शेष फूल 


कहीं और भी जाकर 


प्यार को महकाते 


तो तीन और प्यारभरे दिल 


मेरे देश में बढ़ते! 


नफ़रतों के तूफ़ान से 


शिद्दत के साथ लड़ते!


जय हिंद !


© रवीन्द्र सिंह यादव

12 टिप्‍पणियां:

  1. आप खुशनसीब हैं रवीन्द्र जी जो चार-चार फूल आते हैं आपको .. वैसे विशाल हृदय वाले हैं आप ... नमन आपको जो आप अपने प्रिये के अन्य तीन गुलाब किसी और को साझा करने का सुझाव दे रहें हैं ... मुझ से तो नहीं होगा ... मैं " जलकोकड़ा" हूँ शायद ... आपके इस विशाल-हृदयता के लिए नमन आपको ... वैसे कई दफ़ा बिना फूल के "सुप्रभातम्" संदेश ही केवल सारा दिन महका जाता है , अगर "मन" से भेजा गया हो तो .... फिलहाल ... मेरी इन बातों से परे एक सारगर्भित संदेश देने के लिए ... जय हिन्द !

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. स्वतंत्रता दिवस पर इससे महकता फूल और क्या होगा, कौनसी सुप्रभात इतनी सुकोमल होगी ।
    वाहह्ह्!!

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (17-08-2019) को " समाई हुई हैं इसी जिन्दगी में " (चर्चा अंक- 3430) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  5. रवींद्र जी,
    गुलाब में घुली मन की सुंदर भावनाओं की खुशबू।
    कविता और विज्ञान के मिश्रण से गूँथी पंक्तियाँ सुंदर बन पड़ी है।
    देश में हवा में घुलती वैमनस्यता और नफरत पर इन प्रेम भरे गुलाब की महक का असर हो जाये यही दुआ करते हैं।
    बहुत खूबसूरत रचना।

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  6. सच में प्यार की आड़ में भेजे गए छदम गुलाब बहुत डरावने होते हैं | प्यार और आत्मीयता से भरा बस एक फूल काफी है मन के रिश्ते को संजीवनी देने के लिए | बहुत सार्थक रचना रवीन्द्र जी | आपके एक अलग अंदाज से परिचय कराती हुई | सादर

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  7. ये तीन फूल कहीं और भी
    जाकर प्यार को महकाते
    तो तीन और प्यारभरे दिल
    मेरे देश में बढ़ते!
    नफ़रतों से शिद्दत के साथ लड़ते!
    वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब....
    चार फूल हृदय के चार पार्ट में अपने प्रेम से पूरे हृदय को सुवासित करने के लिए....
    पर कवि का हृदय तो एक ही फूल से महकने लगा
    अन्य तीन फूल अन्य तीन हृदय में प्रेम भरें नफरतें कम होंगी प्रेम और सौहार्द के भावों से भरी लाजवाब अभिव्यक्ति...

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  8. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में बुधवार 13 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  9. बेहद खूबसूरत रचना आदरणीय

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  10. प्रेम को विज्ञान के साथ जोड़ती बहुत सुंदर रचना

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आपकी टिप्पणी का स्वागत है.

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