रविवार, 16 जून 2024

तपिश और पेड़

चित्र: महेन्द्र सिंह 


 गमलों में पेड़ लगाकर 

आत्ममुग्ध होता समाज 

व्यथित है 

सूरज की प्रचंड तपिश से

हाँ, बदलेगा वातावरण 

बड़ी होती इस कोशिश से 


पेड़ की जड़ 

खींचती जल भूतल से 

पहुँचाती आँतरिक वाहिनियों के ज़रिये 

पत्ती के स्टोमेटा तक 

वाष्पोत्सर्जन वातावरण को देता ठंडक

छाया में आती राहत की ठसक

 

जो सूख गया या काटा गया पेड़ 

तो देखा गया जलते हुए 

सर्दी के अलाव में 

या घर की शोभा बनते हुए 


पेड़ तो स्वयं उगते हैं 

सजते-सँवरते हैं वन-उपवन होकर 

कुदृष्टि आदमी की उजाड़ती है वृक्ष 

अति भौतिकता का दास होकर

उजड़ते वन बसती बस्तियाँ 

बढ़ता वातावरण का तापमान 

जीवन के लिए ख़तरा


वृक्षों को जबरन मुक्ति देता आदमी 

कभी झाँक लेगा अपने भीतर 

रोते-सिसकते मिलेंगे 

चिड़िया,कोयल,मोर,बटेर,तीतर। 

 ©रवीन्द्र सिंह यादव

  


10 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! अनुज रविन्द्र जी ,बहुत सही कहा आपनें । सच में हम इंसान अपनें अपनें स्वार्थ के आगे न कुछ देखते हैं न समझनें की कोशिश ही करते हैं ।

    जवाब देंहटाएं
  2. मनुष्यों के स्वार्थपरता से
    चिंतित ,त्रस्त, प्रकृति के
    प्रति निष्ठुर व्यवहार से आहत
    विलाप करती
    पृथ्वी का दुःख
    सृष्टि में
    प्रलय का संकेत है।
    -----
    बेहद गंभीर विषय पर मनन करने का संदेश देती सारगर्भित अभिव्यक्ति।
    सादर
    ----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार १८ जून २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. व्वाहहह
    पेड़ तो स्वयं उगते हैं
    शानदार
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. हमें काटो मत
    बस!
    कर लेंगे खुद
    इंतजाम
    अपने उगने का।
    उगेंगी
    संततियां, तुम्हारी भी,
    साथ साथ!!!

    जवाब देंहटाएं
  5. खूबसूरत प्रस्तुति आदरणीय।

    जवाब देंहटाएं
  6. बेनामी6/18/2024 05:29:00 pm

    गमलों में पेड़ लगाकर
    आत्ममुग्ध होता समाज
    व्यथित है
    सूरज की प्रचंड तपिश से
    पेड़ों का महत्व ही जैसे भूल गया मानव वातानुकूलित घर बनाकर स्वयं को सर्वोपरि समझ बैठा... इस बार की गर्मी जैसे मनुष्य का दम्भ मिटाकर ही मानेगी...
    बढते तापमान पर सबकोआगाह करती बहुत ही सार्थक एवं सटीक रचना।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  8. बेनामी6/20/2024 09:57:00 am

    सार्थक सारगर्भित सृजन हार्दिक बधाई सुलेखनी को।

    जवाब देंहटाएं

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