शनिवार, 19 जुलाई 2025

साँचा

मूल्य

संवेदना

संस्कार 

आशाएँ 

आकांक्षाएँ

एकत्र होती हैं 

एक सख़्त साँचे में 

ढलता है 

एक व्यक्तित्त्व

उम्मीदों के बिना भी 

जीते जाने के लिए

दुनिया के ज़ख़्मों पर 

नेह का लेप लगाने के लिए

यह सहज साँचा 

हमने अब खो दिया है 

भौतिकता के अंबार में 

बहुत नीचे दब गया है।   

©रवीन्द्र सिंह यादव 

 

विशिष्ट पोस्ट

युद्ध और भूख

हम जानते हैं  दुनिया में भूख का साम्राज्य  युद्दों की देन है  फिर भी कुछ खाए-पिए-अघाए  युद्द कैसे हों  इस रणनीति पर  सोचते दिन-रैन हैं पसरते...