अरे! सुनो विद्यार्थियो!
क्यों सड़कों पर
अपना ख़ून बहा रहे हो
अपनी हड्डियाँ तुड़वा रहे हो
अपनी खाल छिलवा रहे हो
अपने बाल नुचवा रहे हैं
अपने कपड़े फटवा रहे हो
अपने बाल नुचवा रहे हैं
अपने कपड़े फटवा रहे हो
पुलिस की लाठियाँ खा रहे हो
पुलिस की गालियाँ / लातें खा रहे हो
क्यों सामान के बोरे-सा ढोये जा रहे हो
चार-छह बेरहम पुलिसकर्मियों के हाथों
क्यों अपनी गरिमा को तार-तार करवाते हो
पुरुष पुलिस की कुदृष्टि और उनके हाथों।
भावी पीढ़ियों की राह आसान करने
क्यों सहते हो दमन /क्यों पीते हो अपमान के घूँट
नेताओं,नौकरशाहों,वकीलों पर करम
छात्र-छात्राओं, किसान, मज़दूर और मज़लूम पर
बर्बर प्रहार की पुलिस को मिली है खुली छूट
आप पर प्रहार करता पुलिस का डंडा
यदि आपने रोकने की जुर्रत की
तो सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने की
दर्ज़ होगी पेचीदा एफ़आईआर।
आप ऐसा क्यों नहीं करते
नेता-अभिनेता क्यों नहीं बनते
छोड़ो सस्ती शिक्षा की माँग
रचो पाखंडी का अभिनव स्वाँग
बाँटो दिलों को/ बदलो मिज़ाज को
छिन्नभिन्न कर डालो समाज को
बो डालो बीज नफ़रत के
पालो ख़्वाब बड़ी हसरत के
कोई डिग्री नहीं /कोई परीक्षा नहीं
सिर्फ़ जनता को बरगलाकर विश्वास हासिल करो
मुफ़्त आवास / मुफ़्त हवाई यात्रा / मुफ़्त रेलयात्रा
मिलेगी भारी-भरकम पुख़्ता सुरक्षा
पेंशन से होगी बुढ़ापे की सुरक्षा
मिलेगी भारी-भरकम पुख़्ता सुरक्षा
पेंशन से होगी बुढ़ापे की सुरक्षा
संसद की केन्टीन का सस्ता खाना खाओ
अपनों को मलाईदार ठेके दिलवाओ
अपने और अपनों के पेट्रोल पम्प
स्कूल-कॉलेज-यूनिवर्सिटी खुलवाओ
स्कूल-कॉलेज-यूनिवर्सिटी खुलवाओ
चहेती कंपनियों के शेयर पा जाओ
और भी न जाने क्या-क्या पाओ
बिकने का मौक़ा आये तो
ऊँची क़ीमत पर बिक जाओ
कोई बिल ख़ून-पसीने की कमाई से
पूरी ढिठाई से कभी न भरो
पूरी ढिठाई से कभी न भरो
क़ानून से भला क्यों डरो
अरे! इंसान बनने की चाह में
क्यों हो इंसाफ़ की राह पर अड़े
क्यों हो इंसाफ़ की राह पर अड़े
बोलो! बन सकोगे इतने
बे-हया बे-रहम चिकने घड़े?
बे-हया बे-रहम चिकने घड़े?
© रवीन्द्र सिंह यादव
शानदार लेखन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन उम्दा लेखन आदरणीय
जवाब देंहटाएंभारत के भविष्य पर पड़ी लाठी का दर्द आपकी रचना में झलक रहा है शब्दों में गज़ब की ललकार..
जवाब देंहटाएं.. वाह !बेहतरीन लेखन आदरणीय सर.
सादर
बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआदरणीय रवींद्र जी प्रणाम और नमन आपकी लेखनी को। आज छात्रों की शुल्क बृद्धि पर ये जो मुद्दा चल रहा है इससे पता चलता है कि हमारा लोकतंत्र अब खोखला हो चुका है। जहाँ एक तरफ नेता जो कि जनता का नौकर हुआ करता था आज वो जनता का बाप बना बैठा है और मालिक जनता नौकर या यूँ कह लीजिये ग़ुलाम ! ये सांसद /विधायक अरबों/करोड़ों की सम्पति बनाते हैं कहाँ से ? ज़ाहिर है जनता के ही पैसों से जबकि इनको महीने के लाखों रुपये केवल वेतन दिया जाता है और तो और संसद भवन /विधान सभा की कैंटीन में केवल पाँच रुपये में भोजन और सभी सुविधाओं में भारी सब्सिडी ! और ये करते क्या हैं ? केवल मौज़ और घोटाले , मर्डर , रेप और तमाम तरह के कृत्य ! इन्हें तो कोई नहीं रोकता और न ही इनके भत्ते बंद किये जाते हैं। और देश के आने वाले भविष्य जिन पर देश का भविष्य निर्भर करता है। उन्हें ये पढ़ने देना नहीं चाहते ताकि महान लोकतंत्र फिर से न ज़िंदा हो जाये और अपने हक़ की बात करने लगे। और ये मूर्ख विद्वत जनता जो इनके पापों को अपने कांधे पर ढो रही है ज़ल्द ही केवल इन छुट भईयों की ग़ुलाम मात्र रह जायेगी। केवल इनका प्रचार-प्रसार करना ( सड़कों पर/ब्लॉगों पर /थोबड़े की किताब पर) इस जनता का कर्तव्य रह जायेगा। तब केवल इन ग़ुलामो के पास एक ही चारा रह जायेगा और वो भी केवल पशुओं का चारा और कुछ नहीं। फिर एक राजा होगा और केवल ग़ुलाम रूपी जनता क्योंकि सारे महान संस्थान बंद होंगे और निजी संस्थानों में रोबोट निर्मित किये जायेंगे। अब सोचना आप सभी को है फिर मत कहना हम लुट गए, हम लुट गये ! फिर कोई माँ बाप अपने बच्चे को आई आई टी / मेडिकल की तैयारी नहीं करायेगा क्योंकि सभी सरकारी मेडिकल कालेजों और आई आई टी संस्थानों की जगह निजी संस्थान स्थान ले चुके होंगे और उनके शुल्क इतने ज़्यादा होंगे कि झक मारकर सभी को किसी न किसी धार्मिक संस्थान में एडमिशन लेना होगा। हम सरकार चुनते हैं कि हमारी सरकार, सरकारी संस्थानों को आगे बढ़ाये, इन्हें नियमित करे, न कि इनको किसी एक निजि हाथों में सौंप दे, इसी बात के लिए हम इन नेताओं के ख़र्चे बहन करते हैं। जब कोई सरकारी प्रतिष्ठान ही नहीं तो फिर इन संसद भवनों और इनमें बैठे माननीयों की क्या आवश्यकता और हम क्यों इनके भारी-भरकम ख़र्चे उठायें ! क्या मंचों से केवल भाषण देने के लिये ! क्या औचित्य है इसका ? सादर
जवाब देंहटाएंसामायिक राजनीति पर सटीक प्रहार व्यंग में कहा गया सत्य ।
जवाब देंहटाएंयथार्थ , सार्थक प्रस्तुति।
सुन्दर और सटीक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसटीक।
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