शनिवार, 15 अगस्त 2020

स्वतंत्रता


चिड़िया को 

जब देखता हूँ 

तब स्वतंत्रता का 

अनायास 

स्मरण हो आता है

जब चाहे 

उड़ सकती है 

जहाँ चाहे जा सकती है

जब चाहे धूल में 

नृत्य कर सकती है 

अथवा पानी में 

नहा सकती है 

मनचाहा गीत 

गा सकती 

मुक्ताकाश में 

विचरण कर सकती है 

फिर सोचता हूँ 

वह भी कहाँ स्वतंत्र है

उत्तरदायित्वों के बंधन 

उस पर लदे हुए हैं 

उससे शक्तिशाली 

उसकी स्वतंत्रता 

हनन करने पर

अड़े हुए हैं

घोंसले में 

लौटने की 

पाबंदी है 

सोचिए 

वह स्वतंत्र है 

या बंदी है?

घोंसला बनाने

अंडे सेने

चुग्गा लाने की 

दौड़ जीतना 

चूजों को 

सक्षम बनाने

दुनिया की ऊँच-नीच से

सतर्क करना

अपनी संतति में 

जीवन के प्रति 

अनुराग भरना

अस्तित्त्व बनाए रखने के लिए 

पर्यावरण अनुकूल बनना 

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की 

परिभाषा गढ़ना

कलरव के लिए 

बस सुबह की वेला चुनना 

आत्मकेन्द्रित बंधनों में 

जकड़े रहना

फिर कैसे कहे चिड़िया 

कि वह स्व के तंत्र में 

स्वतंत्र है या परतंत्र?

समाज या सरकार को

जो रास आए

बस वही लिखना और बोलना 

अभी बाक़ी है 

स्वाधीनता को सच्चे अर्थों में तोलना

क्रांति का गीत 

दिमाग़ों में घुमड़ रहा है

कभी गूँजेगा पुरज़ोर 

आज़ादी की फ़ज़ा में

बिखरेगी ख़ुशबू 

उन फूलों से 

खिल सकेंगे जो 

वक़्त की रज़ा में!

© रवीन्द्र सिंह यादव      

9 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल, हर परिन्दा आजादी का उपयोग करता है और संग्रह करना उसकी नियति नहीं इसलिए सुखी रहता है चहचकना, फुर्र से उड़ना, काश !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर नमन आदरणीया दीदी. ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
      आपकी प्रतिक्रिया पाकर अत्यंत ख़ुशी हुई.

      हटाएं
  2. आदरणीय सर,
    सादर नमन। सदा सोंचती रही आपके ब्लॉग पर आऊँगी। आज पहली बार आना हुआ। बहुत ही सुंदर कविता चिड़ियाँ की स्वाधीनता पर। हाँ एक पक्षी सच मच ही स्वतंत्र और प्रसन्न होता है तभी सदा प्रसन्न रहता है पर दायित्व के बोझ से कोई भी जीव स्वतंत्र नहीं है। हे जीव को अपने दायित्व की पूर्ती करनी है। मैं यहां आती रहूंगी आपकी रचनाएँ पढ़ने और नई प्रेरणा लेने। सुंदर रचना के लिए ह्रदय से आभार। एक अनुरोध है, कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आएं जहाँ मैं अपनी स्वरचित कविताएं डालती हूँ। मेरी कुछ कविताओं के साथ ऑडियो भी प्रस्तुत है। मैं ने अभी अभी अपनी नई रचना स्वातन्त्र गाथा डाली है, कविता के अंत में ऑडियो प्रस्तुत है। आपसे विनती है की उसे भी ज़रूर सुनें , मेरा पहला प्रयास है ब्लॉग पर कविता बोल कर सुनाने का। आपके प्रोत्साहन व् आशीष के लये अनुग्रहित रहूँगी। साथ ही साथ मेरी रचना अहिल्या पर अपनी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए ह्रदय से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत-बहुत आभार अनंता जी. आपकी विस्तृत टिप्पणी पढ़कर बहुत प्रसन्नता मिली.
    आपका ब्लॉग ज़रुर पढ़ूँगा. लिखती रहें.

    जवाब देंहटाएं
  4. उत्तर
    1. सादर प्रणाम सर।

      सादर आभार उत्साहवर्धन के लिए।


      हटाएं

  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 19 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  6. स्वतंत्रता का मतलब चिडिया के माध्यम से बहुत ही सुंदर तरीके से बताया है आपने।

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी का स्वागत है.

विशिष्ट पोस्ट

फूल और काँटा

चित्र साभार: सुकांत कुमार  SSJJ एक हरी डाल पर  फूल और काँटा  करते रहे बसर फूल खिला, इतराया  अपने अनुपम सौंदर्य पर  काँटा भी नुकीला हुआ, सख़्त...