किताब-ए-वक़्त में
क्या-क्या
और लिखा जाने वाला है
किसी को ख़बर नहीं
कुछ नक़्शे बदल जाएँगे
अगर बचे
झुलसने से
चिड़ियों के घोंसले
रहेंगे वहीं के वहीं
ढोएगी मानवता
महत्त्वाकाँक्षी मस्तिष्कों की
कुंठित अराजकता
मनुष्य का
भौतिकता में
जकड़ा जाना
वक़्त का सच है
बुज़ुर्गों की उपेक्षा
मासूमों पर
क्रूरतम अत्याचार
संस्कारविहीन स्वेच्छाचारिता
समाज का सच है।
©रवीन्द्र सिंह यादव
क्या-क्या
और लिखा जाने वाला है
किसी को ख़बर नहीं
कुछ नक़्शे बदल जाएँगे
अगर बचे
झुलसने से
चिड़ियों के घोंसले
रहेंगे वहीं के वहीं
ढोएगी मानवता
महत्त्वाकाँक्षी मस्तिष्कों की
कुंठित अराजकता
मनुष्य का
भौतिकता में
जकड़ा जाना
वक़्त का सच है
बुज़ुर्गों की उपेक्षा
मासूमों पर
क्रूरतम अत्याचार
संस्कारविहीन स्वेच्छाचारिता
समाज का सच है।
©रवीन्द्र सिंह यादव
बहुत सच और सामयिक
जवाब देंहटाएंकटु लेकिन सत्य लिखा है ...
जवाब देंहटाएंसमय क्या क्या बदलाव लाएगा ये किसी को नहीं पता ...
गहरा लेखन ...
आज के समाज की कड़वी सच्चाई । बेहतरीन अभिव्यक्ति । हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 28-08-2020) को "बाँच ली मैंने व्यथा की बिन लिखी पाती नयन में !"
(चर्चा अंक-3807) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
…
"मीना भारद्वाज"
सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन सर।
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम
सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंबुज़ुर्गों की उपेक्षा
जवाब देंहटाएंमासूमों पर
क्रूरतम अत्याचार
संस्कारविहीन स्वेच्छाचारिता
समाज का सच है।
बहुत सुंदर और सटीक रचना।
मनुष्य का
जवाब देंहटाएंभौतिकता में
जकड़ा जाना
वक़्त का सच है
बुज़ुर्गों की उपेक्षा
... बहुत खूबसूरत रचना रवींंद्रजी
संस्कारविहीन स्वेच्छाचारिता ही आज के समाज का घिनौना प्रतिबिंब बन गया है- सच कहा है आपने!... सुन्दर कृतित्व!
जवाब देंहटाएंकड़वा सच !
जवाब देंहटाएंबुज़ुर्गों की उपेक्षा/मासूमों पर /क्रूरतम अत्याचार /संस्कारविहीन स्वेच्छाचारिता /समाज का सच है।///
जवाब देंहटाएंजी , समाज की मर्मान्तक सच्चाई , जिससे कोई मुंह नहीं मोड़ सकता | सार्थक प्रयोगवादी सृजन | सस्नेह शुभकामनाएं और बधाई |
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 04 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवाह!अनुज रविन्द्र जी ,बेहतरीन सृजन ।
जवाब देंहटाएंकटु सत्य.
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