रिक्शेवालों को
आलीशान बाज़ारों से
दूर
कर दिया गया है
झीने वस्त्र को
लौह-तार से सिया गया है
बहाना
बड़ा ख़ूबसूरत है
वे
पैदल चलनेवालों का भी
स्थान
घेर लेते हैं
सच तो यह है
कि
वे
अवरोधों से आक्रांत ग़रीब
मख़मल में टाट का पैबंद नज़र आते हैं
मशीनें
मानवश्रम का
मान घटाती ही चली जा रही हैं
रोज़गार के अवसरों पर
कुटिल कैंचियाँ
चलती ही चली जा रही हैं
भव्यता का
क़ाइल हुआ समाज
वैचारिक दरिद्रता ओढ़ रहा है
संवेदना को
परे रख
ख़ुद को
रोबॉटिक जीवन की ओर मोड़ रहा है।
© रवीन्द्र सिंह यादव
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (२७-०१ -२०२२ ) को
'गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ....'(चर्चा-अंक-४३२३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
ग़रीब और गरीब होते जा रहे हैं तथा अमीर और अमीर
जवाब देंहटाएंसमाज की भयानक तस्वीर
समाज का संतुलन बिगड़ जाएगा इस तरह।
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम आदरणीय सर 🙏
सत्य का सामना कराती पंक्तियाँ।
यथार्थ को बयां करते हुई विचारणीय रचना!
जवाब देंहटाएंबहुत ही भयावह...
Sahi kaha aapne ab mall vale rickshaw bhi chalayenge iske liye bhi sansad me law banana Chahiye government ko Nahi to yahan bhi bichauliye unka shoshan kar denge bahut hi prbhavi rachana parishthiti ko aaina dikhati hui sadhuvad sir
जवाब देंहटाएंसच तो यह है
जवाब देंहटाएंकि
वे
अवरोधों से आक्रांत ग़रीब
मख़मल में टाट का पैबंद नज़र आते हैं
मशीनें
मानवश्रम का
मान घटाती ही चली जा रही हैं
सही कहा मखमल में टाट पैबन्द से ये गरीब इन मखमली हाटों से दूर जायें तो कहाँ जायें ...हर तरफ से मार गरीब पर ही पड़ती हैं
बिल्कुल सटीक एवं समसामयिक लाजवाब सृजन
वाह!!!
यथार्थ का सटीक चित्रण करती बेहतरीन रचना 👌👌
जवाब देंहटाएंगरीबी पर राजनीति बहुत होती है लेकिन गरीबों से गुरेज है
जवाब देंहटाएंचिंतनशील रचना
मार्मिक रचना सत्यता को उजागर करती हुई
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव पूर्ण सृजन
जवाब देंहटाएंसंवेदना से आर्द्र यथार्थ का सटीक चित्रण!
जवाब देंहटाएंचिन्तनपरक और मर्मस्पर्शी सृजन ।
जवाब देंहटाएंJude hmare sath apni kavita ko online profile bnake logo ke beech share kre
जवाब देंहटाएंPub Dials aur agr aap book publish krana chahte hai aaj hi hmare publishing consultant se baat krein Online Book Publishers
अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
जवाब देंहटाएंgreetings from malaysia
द्वारा टिप्पणी: muhammad solehuddin
let's be friend