शनिवार, 2 दिसंबर 2023

अँधेरा-उजाला और भूख

चित्र:महेन्द्र सिंह 

रात का काजल कितना काला 

भोर प्रतीक्षा-सा हुआ निवाला  

देती चिड़िया चूजों को आश्वासन

सूरज निकले तब मिलेगा राशन

अनमनी रवीनाएँ ले-ले जम्हाई

बिखरा देंगीं धूप जो है अलसाई

भूख से लड़ने भरेंगे पंख उड़ान

किसके माफिक हुआ है जहान?

©रवीन्द्र सिंह यादव 


शब्दार्थ:

1. निवाला (हिंदी) = कौर,गस्सा,ग्रास 

2. राशन / RATION (English) = खाद्यान्न आदि का निश्चित व नियंत्रित मात्रा में वितरण,रसद (अरबी,फ़ारसी)

3. अनमनी (हिंदी) = बेमन से, अप्रसन्न

4.रवीनाएँ = सूरज की किरणें,रश्मियाँ 

5.जम्हाई (हिंदी)  = उबासी, जागते समय मुँह के खुलने की स्वाभाविक प्रक्रिया,जँभाई (देशज), उच्छ्वास (संस्कृत) 

6. अलसाई (हिंदी) = आलसयुक्त,आलस से भरी, सुस्त

7.माफिक (संस्कृत) = अनुकूल,अनुसार, मुवाफ़िक़ (अरबी) 

8.जहान/जहाँ (फ़ारसी) = संसार,दुनिया,लोक,जगत्


     

9 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार.
      सादर प्रणाम सर.

      हटाएं
  2. वाह ! कविता की कविता और विभिन्न भाषाओँ की भेलपूरी भी !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

      हटाएं
  3. सादर प्रणाम सर.
    भारत में भाषा की भेलपुरी का आनन्द लेते हैं लोग किंतु फिर भी संकीर्ण दृष्टिकोण के शिकार हो जाते हैं. वही भाषा समृद्ध होती है जो लचकदार होती है अर्थात दूसरी भाषा के शब्दों को ख़ुद में समाहित करने की क्षमता.

    जवाब देंहटाएं
  4. किसके माफिक हुआ ये जहान ?
    उनके माफिक जिनकी मुट्ठी में रवीनाएं हैं
    बाकी तो अपने चूजों को यूँ ही आश्वासन देंगे...
    वाह!!!!
    लाजवाब🙏🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  5. सादर आभार आदरणीया सुधा जी. आपकी सारगर्भित टिप्पणी ने रचना के मर्म को विस्तार दिया है.

    जवाब देंहटाएं
  6. बेनामी12/08/2023 11:51:00 am

    अद्वितीय सृजन, शुभकामनाओं सह ।

    जवाब देंहटाएं
  7. सादर आभार आपका मनोबल बढ़ाने के लिए.

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी का स्वागत है.

विशिष्ट पोस्ट

मूल्यविहीन जीवन

चित्र: महेन्द्र सिंह  अहंकारी क्षुद्रताएँ  कितनी वाचाल हो गई हैं  नैतिकता को  रसातल में ठेले जा रही हैं  मूल्यविहीन जीवन जीने को  उत्सुक होत...