मंगलवार, 9 जून 2020

डरे हुए लोग / लघुकथा



       
तफ़तीश-अफ़सर की टीम को देखकर सबने खिड़कियाँ-दरवाज़े बंद कर लिए। तरबूज़, ख़रबूज़ा,खीरा और ककड़ी आवाज़ लगाकर बेचता एक ठेलेवाला गया। अफ़सर ने सोचा अब तो शायद कोई कोई तो बाहर निकलेगा ही लेकिन कमाल का आंतरिक सामंजस्य है इन ख़ामोश मकानों में कि बच्चा तक बाहर नहीं निकला। 
अफ़सर कुछ देर इंतज़ार के बाद उस मकान के दाहिने पड़ोसी के दरवाज़े पर दस्तक देता है। 
बाहर आई स्त्री ने हिम्मत के साथ पूछा-
"कहिए..."
"आपके पड़ोस में औरत कैसे जली?
"मालूम नहीं।"
"कोई चीख़-पुकार नहीं सुनाई दी?
"बिल्कुल नहीं, कूलर चल रहे थे।"
अफ़सर ने अब बाईं ओर के पड़ोसी का दरवाज़ा खटखटाया। बाहर आई स्त्री ने चेहरे पर संशय के भाव लिए पूछा-
"कहिए इंस्पेक्टर साहब!"
 "आपके पड़ोस में औरत कैसे जली?
"कुछ पता नहीं, मैं अकेली रहती हूँ; नींद की दवा लेती हूँ।"

   "
समाज में तटस्थ लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है। क़ानून की मदद करने या पीड़ित को न्याय दिलानेवालों की लगातार कमी हो रही है। जब ख़ुद क़ानून के चंगुल में फँसते हैं तो कहते हैं
'मुझे अपनी न्याय-व्यवस्था में पूरा भरोसा है।' हक़ीक़त जानते सब हैं लेकिन लोग अपने तयशुदा ढर्रे पर ही चलना चाहते हैं। कौन झंझट मोल ले तो बस ख़ुद को न्यूट्रल दिखाओ..."
अपने अधीनस्थ अफ़सर से बुदबुदाता हुआ खिन्न तफ़तीश-अफ़सर अगले दरवाज़े की ओर अपने क़दम बढ़ाता है।    

©
रवीन्द्र सिंह यादव           


10 टिप्‍पणियां:

  1. असलियत दिखाती सुंदर लघुकथा।

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  2. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 10 जून 2020 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. वाह बहुत सुंदर कथा ।

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  4. वाह!अनुज रविन्द्र जी ,समाज की हकीकत बयान करती सुंंदर लघुकथा ।

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  5. गागर में प्रशांत महासागर भर दिया आपने तो
    ये तो मैं खुद भुक्त चुकी हूँ
    हर कोई झमेलों से दूर रहना चाहता है
    पर करें क्या

    बहुत ही काम शब्दों में बहुत कुछ कह गए आप
    सादर नमन
    सार्थक सटीक लेख

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  6. ''कौन झंझट मोल ले तो बस ख़ुद को न्यूट्रल दिखाओ..."
    सच है......यही है सच्चाई !

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  7. समाज का घिनौना रूप प्रकट करती प्रभावी लघुकथा .
    अपने लिए सभी न्याय चाहते हैं पर किसी और को न्याय दिलाने की बात पर तटस्थ हो जाते हैं. इसी तटस्थता के कारण ही आज हमारे सामने ऐसे समाज का निर्माण हुआ है.

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  8. सत्य प्रर्दशित करती रचना 👌

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