अस्पतालों-घरों में मातम ही मातम
सड़कों पर दौड़तीं एम्बुलेंस
ऑक्सीजन लिए
साँसों को जूझते करोना मरीज़ लिए
घर से अस्पताल
अस्पताल-दर-अस्पताल
प्रतीक्षा करतीं कतार में
साँसें थमीं तो दौड़ीं शमशान
पूरी रफ़्तार में
फिर प्रतीक्षा लंबी कतार में
दौलत के भूखों का
कुरूप चेहरा देखा
इस लघु सफ़र में
मानवीय संवेदना के किरदार भी
लिख रहे हैं क्रूर काल के कपाल पर
ख़ुद को दाँव पर रख
साँसों की सच्ची कहानी!
© रवीन्द्र सिंह यादव
कोरोना की विकराल भयावहता को उजागर करता मर्म स्पर्शी सृजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंकोरोना काल की भयावहता को दर्शाते मार्मिक रचना, जय श्री राधे, अपना सब का ख्याल रखें
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