लॉक डाउन
फिर भी व्यस्त सड़कें
शहर से लेकर गाँव तक
कुछ साहसी-मजबूर
दौड़ रहे हैं
लिए दवाएँ-ऑक्सीजन
ताकि सांसें टूट न सकें
करोना से जूझते
वैज्ञानिक
डॉक्टर
सहायक स्टाफ़
सफ़ाईकर्मी
वाहन-चालक
सुरक्षाकर्मी
ज़मीनी-पत्रकार
स्वयंसेवी आदि
देखते जब
मृत देहों का अंबार
सुनते जब
संबंधियों-मित्रों शुभचिंतकों की
चीख़ें और सिसकियाँ
छितराई परेशानी की लकीरें
असहज पीपीई-किट फ़ेस-शील्ड से ढके
बेचैन चेहरों पर
रखते मन-मस्तिष्क पर क़ाबू
रोककर अपने दिल का रोना
जुट जाते दुगनी ऊर्जा से
बचाने सांसों की टूटती डोर
थम रही है
करोना की दूसरी लहर
देखेंगे हम राहत का भोर
किसी को भोगना है वैधव्य
कोई हुआ अनाथ
छूटा किसी के
माता-पिता का साथ
बिछड़ गई किसी की संगिनी
किसी को छोड़ गई भगिनी
किसी ने प्यारी बेटी खोई
बेटे के वियोग में
कोई आँख फूट-फूटकर रोई
एक वायरस ने
दे डाली दुनिया को चुनौती
शोध जारी है
मुकम्मल इलाज के लिए
काश!वैक्सीन की हालत
एक अनार सौ बीमार-सी न होती
आशाओं के ग़ुंचे
ज़रूर खिलखिलाएँगे
वक़्त के दिए ज़ख़्म
धीरे-धीरे भर जाएँगे।
© रवीन्द्र सिंह यादव
कोरोना ने ऐसा ज़ख्म दिया कि इसके ज़ख्म कभी नहीं भरेंगे. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार( 04-06-2021) को "मौन प्रभाती" (चर्चा अंक- 4086) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
बिलकुल सही कहा सर🙏
जवाब देंहटाएंवर्तमान परिस्थितियों से पीड़ित आपकी लेखनी के यह बोल ' आज ' और ' आनेवाला कल ' दोनों की तस्वीर खींच रहे हैं। सत्य ही कह रही हैं आपकी पंक्तियाँ कि कोरोना की दूसरी लहर थमने के बाद भी हमे संभलने में बहुत वक़्त लगेगा। कुछ लोगों के लिए तो शायद संभल पाना भी बहुत मुश्किल होगा। कोरोना के इस काल में हम एक नही सौ युद्ध लड़ रहे हैं। युद्ध के इस दौर में हम बहुत कुछ हार चुके हैं और शायद आगे बहुत कुछ हारेंगे पर फिर भी हमे कर्मनिष्ठ होकर कर्म करना है और सूर्योदय तक अँधेरे से लड़ते रहना है।
जवाब देंहटाएंजन की पीड़ा को शब्द देती आपकी कर्तव्यपरायण लेखनी को मेरा बारंबार प्रणाम 🙏
आमीन। आशा जरूरी है।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार ४ जून २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
आशाओं के ग़ुंचे
जवाब देंहटाएंज़रूर खिलखिलाएँगे
वक़्त के दिए ज़ख़्म
धीरे-धीरे भर जाएँगे। ---बहुत ही गहरी रचना आपकी, उम्मीद जगाती पंक्तियां।
सटीक
जवाब देंहटाएंसादर...
कोरोना काल का सटीक चित्रण किया है ।
जवाब देंहटाएंआपके आशावादी विचार सच हों , यही कामना है ।
वाह!अनुज रविन्द्र जी ,सुंदर सृजन । इस कोरोना नें सबका जीना दूभर कर दिया है पर आशाओं के गुंचे जरूर खिलखिलाएगें ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआशाओं के ग़ुंचे
जवाब देंहटाएंज़रूर खिलखिलाएँगे
वक़्त के दिए ज़ख़्म
धीरे-धीरे भर जाएँगे।
यही आशा है सबको पर पता नहीं कब वो दिन आयेगा... समसामयिक हालातों का सटीक शब्दचित्रण ....आशा का संचार करती लाजवाब भावाभिव्यक्ति।
बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग। पर आना हुआ आ. रविन्द्र जी!मेरे ब्लॉग की रीडिंग लिस्ट में आपकी पोस्ट नहीं दिखती।
एक बार पुनः फॉलो कर रही हूँ हो सके तो आप भी कीजिएगा... शायद ऐसा कने से मुझे आपकी रचनाओं का आस्वादन करने का सुअवसर प्राप्त हो।
सुंदर सराहनीय सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
सटीक.. मानवों भूतकाल में ऐसी कई त्रासदियाँ सही हैं... इससे भी हम उभरेंगे.. आशा जरूरी है....सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंThis is really fantastic website list and I have bookmark you site to come again and again. Thank you so much for sharing this with us silence quotes in Hindi
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वाकई पढने के दौरान मैं भावुक हो गया। बहुत ही बेहतरीन। वर्तमान परिस्थिति के भावों को पूरी तरह यहाँ प्रस्तुत कर दिया है।
जवाब देंहटाएंसटीक व
जवाब देंहटाएंसराहनीय सृजन
सादर
माँ शेरोवाली आजा मेहरो वाली
जवाब देंहटाएंall bhajan
जवाब देंहटाएंBest Arijit Singh Song
जवाब देंहटाएंThank you so much Hindi Ghazal Lyrics
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जवाब देंहटाएंAnushka Sharma
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