सोमवार, 23 जनवरी 2017

नेताजी सुभाष चंद्र बोस

(23  जनवरी  जन्मदिन  पर  स्मरण )
 

भारत में एक सव्यसाची फिर आया,  

48 वर्ष सुभाष बनकर जिया,  

जीवट की नई कसौटी स्थापित कर,  

रहस्यमयी यात्रा पर चल दिया,

जल्दी में था भारत माता का लाल, 

बिलखता दिल हमारा भावों से भर दिया।  


"तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा" 

"दिल्ली  चलो" 

"जय हिन्द"  

नारे दिए सुभाष ने, 

जाग उठी थी तरुणाई  

उभारे बलिदानी रंग प्रभाष ने।  


भारतीयों के सरताज,   

युवा ह्रदय-सम्राट, 

सुभाष बेचैन थे,  

देखकर हमारी 

अँग्रेज़ों का दमन सहने की परिपाटी,  

बो दिए वो बीज,  

महकने / उगलने लगी 

क्रांति-क्रांति देश की माटी। 


आज़ाद हिंद फ़ौज बनी,  

अँग्रेज़ों से जमकर ठनी,  

1943  से 1945  तक,

देश की पहली आज़ाद हिंद सरकार बनी,  

छूटा साथ घायल जापान का,  

मिशन की बड़ी ताक़त छिनी,   

18 अगस्त 1945 को,  

ताइपे विमान-दुर्घटना 

हर भारतवासी का दुःख-दर्द बनी...(?) 


नेताजी की मृत्यु का रहस्य,  

आज भी एक अबूझ पहेली है,  

गोपनीय फ़ाइलें खुल रहीं हैं,  

बता दे राज़ सारे 

क्या कोई फ़ाइल अकेली है...?


दुनिया विश्वास न कर सकी,

सुभाष के परलोक जाने का,

अपनी ही सरकारें करतीं रहीं जासूसी,

भय था जिन्हें सुभाष के प्रकट हो जाने का,

सार्वकालिक व्यक्तित्त्व दमकता ध्रुव-सत्य है,

कौन बनेगा अब सुभाष...?

पूछता खड़ा सामने कटु-सत्य है।


हमारे दिलों पर राज़ करते हैं सुभाष,

समय की प्रेरणा बनकर,

भाव-विह्वल है हमारा दिल,

तुम्हें याद करके आँखों का दरिया,

बह चला है आँसू बनकर।


स्वतंत्र होकर जीने का अर्थ,

सिखा गए सुभाष,

आज़ादी को कलेजे से लगाना,

सिखा गए सुभाष। 

 
स्वतंत्रता का मर्म वह क्या जाने,  

जो स्वतंत्र वातावरण में खेला है,  

उस पीढ़ी से कभी पूछो! 

जिसने पराधीनता का असहय दर्द झेला है!! 

जय हिन्द !!!

                         © रवीन्द्र सिंह यादव                          

11 टिप्‍पणियां:

  1. देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में सुभाष बाबू के योगदान का सुन्दर आकलन ! एक बात बता दूं - 1915 में राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने काबुल में स्वतंत्र भारत की प्रथम अंतरिम सरकार का गठन किया था.

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन
    अप्रतिम रचना
    जय हिंद !

    जवाब देंहटाएं
  3. ह्रदय में जोस का संचार करती सुन्दर रचना
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह बेहद उम्दा रचना आदरणीय सर
    नेता जी को कोटिशः नमन

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (22-10-2019) को     " सभ्यता के  प्रतीक मिट्टी के दीप"   (चर्चा अंक- 3496)   पर भी होगी। 
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  6. .. इतिहास में नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक तेजतर्रार युवा नेता के रूप में अपनी छाप छोड़ गए थे... उनका दिया गया नारा #तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा ,आज भी उनका ये नारा हौसलों को बुलंद कर देता है... वह एक बहुत ताकतवर नेता के रूप में उभर रहे थे युवा उन्हें अपना प्रेरणास्रोत बनने लगे थे शायद यही सब कारण उनकी मौत की वजह बनी.. उनकी मौत का रहस्य आज भी रहस्य ही रह गया बहुत दिनों के बाद उनके विषय में उनकी जीवन की पूरी झांकी पढ़ने को मिली ... बहुत ही अच्छी रचना लिखी है आपने चंद पंक्तियों के साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पूरी जीवन गाथा आपने उकेर डाली... इस रचना के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई

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  7. सुभाष चन्द्र बोस के व्यक्तित्व और उनके नेतृत्व कौशल का स्मरण करवाती अद्भुत रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  8. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (22-01-2020) को   "देश मेरा जान मेरी"   (चर्चा अंक - 3588)    पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

    जवाब देंहटाएं
  9. स्वतंत्र होकर जीने का अर्थ,
    सिखा गए सुभाष
    बहुत खूब ,सत सत नमन इस वीर पुत्र को

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह!अनुज रविन्द्र जी ,खूबसूरत भावों से भरी ओजपूर्ण रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत ही सुन्दर सार्थक सृजन आदरणीय
    नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को सादर नमन

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी का स्वागत है.

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