शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

चींटियाँ

देख रहा हूँ चींटियों को

कतारबद्ध चलते हुए 

कुछ जातीं चींटियाँ 

कुछ आतीं चींटियाँ

सोच रहा हूँ 

कितनी दिमाग़दार हैं चींटियाँ

अपनी रानी की 

सेवादार / तीमारदार हैं चींटियाँ

विज्ञान-साहित्य ने 

इन्हें भी नाम दिया है

रानी और मज़दूर चींटियाँ

अफ़सोस!

यहाँ भी 

पूँजीवाद-सा भेदभाव!  

एकता-शक्ति का 

अनुपम उदाहरण हैं चींटियाँ

अंडा ले बिल से निकल पड़ें 

तो कारण हैं चींटियाँ

लगतीं हैं अब तो 

प्रवासी श्रमिकों-सीं चींटियाँ

किसी सियासी सरहद से 

बेख़बर रहतीं हैं चींटियाँ 

बड़े लक्ष्य 

हौसले से हासिल करने   

हाथ डालतीं हैं चींटियाँ

सतत प्रयत्नशील रहने का 

सबक़ सिखातीं हैं चींटियाँ।

 ©रवीन्द्र सिंह यादव      

5 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(०८-०७-२०२०) को 'शब्द-सृजन-२८ 'सरहद /सीमा' (चर्चा अंक-३७५३) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. बड़े लक्ष्य

    हौसले से हासिल करने

    हाथ डालतीं हैं चींटियाँ

    सतत प्रयत्नशील रहने का

    सबक़ सिखातीं हैं चींटियाँ।
    वाह!!!!
    सतत प्रयत्नशील रहने का सबक सबक सिखाती चीटियां
    बहुत ही सुन्दर लाजवाब सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  4. चींटियों के हर कलाप पर विहंगम दृष्टि !!
    अपनी रानी की

    सेवादार / तीमारदार हैं चींटियाँ

    विज्ञान-साहित्य ने

    इन्हें भी नाम दिया है

    रानी और मज़दूर चींटियाँ

    अफ़सोस!

    यहाँ भी

    पूँजीवाद-सा भेदभाव!

    पूँजी वाद पर प्रतीकात्मक प्रहार और तंज।
    अभिनव सृजन।

    जवाब देंहटाएं

  5. बड़े लक्ष्य

    हौसले से हासिल करने

    हाथ डालतीं हैं चींटियाँ

    सतत प्रयत्नशील रहने का

    सबक़ सिखातीं हैं चींटियाँ।
    वाह ,बहुत ही बढ़िया

    जवाब देंहटाएं

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