रटारटाया उत्तर
सुन-सुनकर
मन भर गया है
वह इतना कायर है
कि प्रश्न से डर गया है
खोखले आदर्शों की नींव
इतनी उथली
कि मंसूबों की इमारत
भरभराकर
ढह गई है
कोई भोंड़ा-सा उत्तर
सर्वथा अनापेक्षित है
क्योंकि प्रश्न
तीखे तो होते हैं
कदाचित अनंत संभावनाओं के
जनक हैं
समाधान हैं
कारक हैं
किरदार हैं
प्रश्न खड़े किए जाते हैं
नैतिक नियंत्रण
लोक कल्याण
और न्याय के लिए
तो फिर पलायन कैसा
सामना करो!
हमें प्रश्न का उत्तर चाहिए
प्रतिप्रश्न नहीं।
सुन-सुनकर
मन भर गया है
वह इतना कायर है
कि प्रश्न से डर गया है
खोखले आदर्शों की नींव
इतनी उथली
कि मंसूबों की इमारत
भरभराकर
ढह गई है
कोई भोंड़ा-सा उत्तर
सर्वथा अनापेक्षित है
क्योंकि प्रश्न
तीखे तो होते हैं
कदाचित अनंत संभावनाओं के
जनक हैं
समाधान हैं
कारक हैं
किरदार हैं
प्रश्न खड़े किए जाते हैं
नैतिक नियंत्रण
लोक कल्याण
और न्याय के लिए
तो फिर पलायन कैसा
सामना करो!
हमें प्रश्न का उत्तर चाहिए
प्रतिप्रश्न नहीं।
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (१२-०७-२०२०) को शब्द-सृजन-२९ 'प्रश्न '(चर्चा अंक ३७६०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
बिलकुल सत्य है सर प्रश्न उत्तर मिल जाए तो विकास हो और प्रतिप्रश्न हो जीवन उलझ जाता है
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना
प्रश्न खड़े किए जाते हैं
जवाब देंहटाएंनैतिक नियंत्रण
लोक कल्याण
और न्याय के लिए
तो फिर पलायन कैसा
सामना करो!
हमें प्रश्न का उत्तर चाहिए
प्रतिप्रश्न नहीं...
प्रतिप्रश्न में न उलझकर उत्तर की अपेक्षा ही सही है सही कहा सम्भावनाओं के जनक होते हैं प्रश्न
बहुत सुन्दर...लाजवाब सृजन।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह कुछ और प्रश्नो का उत्तर तलाशता सुंदर सृजन ,सादर नमन आपको सर
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