सोमवार, 28 सितंबर 2020

लता पतन का मार्ग नहीं चुनती

लता को 
बल्ली का 
सहारा न मिले 
तो वह क्या करती है?
अध्यापक ने छात्रों से पूछा
छात्रों को कुछ न सूझा 
तो एक छात्रा बोली-
मेरी बात नहीं है ठिठोली
कोई बल्ली का सहारा न दे 
तो भी लता 
पतन का मार्ग नहीं चुनती
कुछ दूर रेंगकर
चढ़ जाती है
किसी झाड़ / पेड़ पर
नाज़ुक सर्पिल तंतुओं से 
बना लेती है गठबंधन 
ताकि उसके फल
आसमान में झूल सकें  
जीवों को दिखाई दें
गंदगी से ऊपर रहें
और कृतज्ञ जीव 
लता की परवरिश का मन बनाएँ 
उसके लिए बल्ली-सा संबल बनाएँ 
बैठ जाओ भावी कवयित्री 
अध्यापक ने गंभीर होकर कहा। 
© रवीन्द्र सिंह यादव

2 टिप्‍पणियां:

  1. अद्भुत !
    गहन अर्थ समेटे सार्थक रचना
    लता के माध्यम से ।

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह!अनुज रविन्द्र जी ,लाजवाब सृजन !

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी का स्वागत है.

विशिष्ट पोस्ट

मूल्यविहीन जीवन

चित्र: महेन्द्र सिंह  अहंकारी क्षुद्रताएँ  कितनी वाचाल हो गई हैं  नैतिकता को  रसातल में ठेले जा रही हैं  मूल्यविहीन जीवन जीने को  उत्सुक होत...