वह आकाश से उतरी
नीम की फुनगी पर
हौले से आ बैठी
थोड़ी देर सुस्ताकर
मुंडेर पर आ बैठी
नन्ही पीली चिड़िया
बसंती धूप की छमछम ने
बच्चों से कहा देखो
आई अजनबी चिड़िया
बच्चे उत्साहित हो
लगे वीडियो बनाने
चिड़िया लगी
प्यारे स्वर में चहचहाने
फुदक-फुदककर
लगी मुंडेर पर
मोहिनी नाच दिखाने
तभी आसमान में
बाज उड़ता दिया दिखाई
देखकर मासूम बच्चों को
आ गई सजल रुलाई
पीली चिड़िया ने
दिखलाई अपनी चतुराई
छितराई थी छप्पर पर
लौकी की अनमनी बेल
शंकु-से मुड़े
सूखे पीले पत्ते ने
शिकारी का बिगाड़ा खेल
चुपके से पीली चिड़िया
शंकु में आ समाई
डरी सहमी नन्ही जान ने
चैन की साँस पाई
देखकर यह नज़ारा
ताली बच्चों ने ख़ूब बजाई।
© रवीन्द्र सिंह यादव
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (२५-०२-२०२१) को 'असर अब गहरा होगा' (चर्चा अंक-३९८८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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अनीता सैनी
वाह, बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंछोटे छोटे दैनिक दृश्यों में से आनंद और अवसाद ढूंढ लेना ,उसे सहज उकेरना आपकी विशेषता रही है भाई रविन्द्र जी,चाहे वो यथार्थ हो या फिर प्रकृति।
जवाब देंहटाएंबाल मन की कोमलता मन को छू गई।
सुंदर सृजन।
खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सृजन आदरणीय सर,सादर नमन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबच्चों की तरह ही ताली बजाने का मन हो गया । बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत सुन्दर रचना.. बाल सुलभ अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंवाह ! सजीव चित्र।
जवाब देंहटाएंवाह👌👌👌 क्या शब्द चित्र। बालमन और पीली चिड़िया की रोमांचक और सजीव कथा। हार्दिक शुभकामनाएं भाई। आपके ब्लॉग का रीडिंग लिस्ट में नहीं आने से ब्लॉग पर प्राय लिंकों के माध्यम से ही आ पाती हूँ।सादर 🙏🙏
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