महाभारत में
युधिष्ठिर से यक्ष-प्रश्न-
"संसार में सबसे बड़े आश्चर्य की बात क्या है?"
"मृत्यु"
"रोज़ दूसरों को मरता हुआ देखकर भी
ख़ुद की अमरता के सपने देखता है मानव।"
युधिष्ठिर ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया।
अकाट्य सत्य है मृत्यु
जिसे देर-सबेर आना ही है
मृत्यु का डर
समाया है रोम-रोम में
फिर भी निर्विकार
दौड़ रहा होता है
भय को परास्त करने के वास्ते
सत-चित-आनंद के
दुर्गम हैं रास्ते
हर पल अकेले ही
लड़ी जाती है जंग
पास आती मृत्यु से
करोना वायरस लील गया है
दुनियाभर में
1,76,860 जानें अब तक
यह भयानक आँकड़ा
बढ़ता रहेगा कब तक?
© रवीन्द्र सिंह यादव
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (24-04-2020) को "मिलने आना तुम बाबा" (चर्चा अंक-3681) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
मृत्यु का जो खेल कोरोना खेल रहा है यह एक चेतावनी है। अब भी वक़्त है मनुष्य के पास सुधरने का और भविष्य में एसी पारिस्थितियों को आने से रोकने का।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा आपने आदरणीय सर। समसामयिक और उत्तम। कोरोनाकाल में आपकी यह स्तरीय रचनाएँ निश्चित ही याद की जायेंगी।
सादर प्रणाम 🙏
मृत्यु जीवन का अंतिम पड़ाव है. यह सत्य है कि मृत्यु को एक न एक दिन आना ही है. महाभारत के प्रसंग से जोड़कर मृत्यु को कोरोना के संकट तक प्रासंगिक संदर्भों में प्रस्तुत करना आपकी लेखन कला की ख़ूबी है. उत्कृष्ट रचना. बधाई आदरणीय.
जवाब देंहटाएंसुंदर लेखन
जवाब देंहटाएंसटीक और सामयिक
जवाब देंहटाएंवाह!रविन्द्र जी ..!
जवाब देंहटाएंयही प्रश्न है हम सबके मन में ..आखिर कब तक?
हर पल अकेले ही
जवाब देंहटाएंलड़ी जाती है जंग
पास आती मृत्यु से
सटीक कथन...मृत्यु अकाट्य सत्य है ये जानकर भी मृत्यु से जंग लड़ते हैं हम....
पर मृत्यु है उसे तो आना ही है एक दिन ...
अब कोरोना बनकर आई है ....विश्व भर में दहशत है...समसामयिक लाजवाब सृजन।
सटीक एवम् यथार्थ चित्रण
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