मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

टीवी पर समाचार

विदूषक / मसख़रे / जोकर की कल्पना 

मनोरंजन के लिए

हँसकर व्यंग्य की सचाई 

स्वीकारने

भटकी सोच को 

मानवीय बनाने  

हमने की 

कला-साहित्य / लोक-संस्कृति में

कँटीली / पथरीली ज़मीन पर 

हमें हँसने-हँसाने की

चपल चुनौती दी 

किनारे पर 

उथले पानी में 

तैरने का कोई अभिनय करे

तब आप क्या करेंगे?

टीवी पर समाचार

एंकर / एंकरनियों को  

दाँत पीसते हुए 


देखा करेंगे!

© रवीन्द्र सिंह यादव    

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